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Friday 30 December 2016

रामानंद_स्वामीनो_अक्षरवाश

आजे_रामानंद_स्वामीनो_अक्षरवाश
#अने_हवे रामानंद स्वामी आ लोक माथी विदाय लेवानुं कहे छे, ए प्रसंग कहुं, खाश वांचजो तो ज #महामंत्रनी कथानी खबर पडशे। नीलकंठ वर्णीने गादी आपी अने आ संप्रदायनी धर्मधुरा सौंपी पछी जेतपुरथी गुरुदेव साथे सहेजानंद स्वामी फरेणी पधार्या। एक वखत एटले के मागसर सुद बारसना दीवशे सवारे गुरुने विचार आव्यो के मारे हवे आ लोक माथी विदाय लेवी छे। कारणके मे जे काम माटे जन्म लीधेलो ए बधा पुरा थयां। हवे शुं! दुर्वाशाना श्राप थकी अमे अंही आव्या हतां। अने जे करवानुं ए मे करी नाख्युं। हवे आ सहेजानंद स्वामी बधु करशे। पछी गुरुए संतो तथा ब्राह्मणोने खुब भोजन कराव्युं दान दीधुं अने सांजे सभा भरी अने पछी कह्युं। "आ नीलकंठ वर्णीने मे मारी गादी आपी हवे जे करवानुं छे ए एमने करवानुं छे, मारे काइ करवानुं नथी अने वळी युधीष्ठीर अर्जुन वासुदेव आदिक बधाए आ पृथ्वी पर जन्म लीधो अने एकने एक दीवश चाल्यां गया। माटे मारे पण आ लोक छोडी अने जतुं रहेवुं छे। अने हा, सावधान, मारी पाछळ कोइए शोक न करवो, कोइए आत्मघात न करवो। अने सभा आखी दुखमा डुबी गइ। मागसर सुद तेरस संवत 1858 तारीख 17-12-1801 ने गुरुवारे गुरु फरेणी गाममा जाग्यां छे। भद्रावतीमा स्नान कर्युं। बधाने जणावी दीधु के आजे हुं धाममा जाउ छुं।
॥बेठा एकांते पध्हासने रे, कृष्णमुर्ती चिंतवी मने रे।
करी समाधी कृष्णमा रही रे, त्यारे देहनी विस्मृती थइ रे।
पछी श्रीकृष्ण इच्छाए करी रे, उध्धवजीए देह प्रहरी रे।
संवत अढार वर्ष अठावन रे, मागसर सुदी तेरस दन रे।
वार देवगुरु दन जाणो रे, मुक्यु तन तेदी परमाणो रे।भक्तचिंतामणी प्र-47॥
पछी योगसमाधी करी अने कृष्णनी मुर्ती चिंतवी अने कृष्णमा रही अने सदायमाटे समाधी थइ गइ अने पुर्व जेवा उध्धवजी हता ए देह फरीथी उध्धवजी नो थइ गयो। आकाशमार्गे अनेक विमानो आव्या जय जय नादो थयां अने गुरुदेव पंचभौतिक देह नो त्याग करी अक्षरधाममा पंहोच्या छे। बधा हरीभक्तो आव्या एक सरस मजानुं विमान तैयार कराव्युं, पछी खुब अबिल गुलाल चंदन देह पर छांट्युं। पछी मुक्तानंद स्वामी सहेजानंद स्वामी मयाराम भट्ट आदीके वाराफरती गुरु नी पालखी उपाडी। शास्त्र प्रमाणे सर्वे अंतिम विधी करी सर्वे शोकातुर भक्तोने सहेजानंद स्वामी धीरज आपे छे। दीवशो पछी दीवशो जवा लाग्यां। दश दीवश सुधी भगवद गीता नी कथा करावी। पछी दशमा दीवशनी क्रिया करावी बारमु तेरमुं आदीक कर्युं। अचित्यानंद वर्णी बोल्या हे अभेसिंह राजा हवे जे कथा कहु ए सांभळ। चौदमानी सभा भराणी छे, अने आ सभा भा असंख्य भक्तो बेठा छे.........
#अंहीथी_आगळनी_वात_बराबर_तेर_दीवश_पछी_करीश एकादशीना दीवशे। (अमास नो क्षय छे)
"मे तमने त्यां सुधी वात करी के प्रथम स्वामिनारायण भगवानना जन्मनी कथा कही, पछी धर्मदादा धाममा गयां ए कह्युं, पछी अषाढ सुद दशमे नीलकंठ वर्णीए घर छोड्युं अने वननी विकट वाटे नीकळ्या ए कह्यु। पछी श्रावण सुद दशमे नीलकंठ वर्णी गीरनार पर्वत पर पधार्या ए कह्युं। पछी महाराजे गोवर्धन भाइनी फइ पुतळीबाइ ने जमपुरी माथी छोडावी ए कह्युं। पछी श्रावण वद छठ्ठना दीवशे वर्णीराज लोजनी वाव पर पधार्या ए कह्युं। पछी जेठ वद बारसना दीवशे एतिहासीक अने अविस्मरणीय रामानंद स्वामी अने नीलकंठ वर्णीनो प्रथम मेळाप थयो ए कह्युं। पछी गुरुदेव साथे वर्णीए रथयात्रा रक्षाबंधन आदीक घणा उत्सवो कर्या ए बधु कह्युं। पछी वर्णीराजनो गादीपट्टाभिषेक थयो ए कह्यु। अने हवे श्री #स्वामिनारायण_महामंत्रनी कथा तेर दीवश पछी कहीश। •¤#मारी आ पोस्ट जो तमने गमी होय, अथवा आगळनी कोइ पोस्ट तमने गमी होय तो तमे तमारो अभिप्राय कमेन्टमा अथवा मेसेंजर पर मने आपी शको छो।राजी रेज